Ther post is in reply to the comment by News and Views, Mumbai, for their comment. I really did not understand the comment, hence I replied, IN DETAIL.
tHE BLOG-Posy where News & Views commented was this. And what follows are my views, trust me, when I say, no one knows moe than anyone, how we rock as stage artistes.
मित्रवर ,
वीयूस अँड नेव्स ,
बंधुवर ,
सर्वप्रथम मेरे भाषण पर
प्रतिकरिया व्यक्त करने एवं टिप्पणी करने हेतु अती प्रसन्न हृदय के अंतरपटल से
धन्यवाद स्वीकार करें।
आपकी टिप्पणी में आपने कहा
है की आपको मेरा भाषण पादने में बहुत आनंद आया, यह पढ़ कर मुझे अतयनता आनंद की
अनुभूती हुई। इस बाबत आपको अनेकानेक धन्यवाद।
अब आइये मुद्दे पर,
लेकिन यह क्या?
फिर एकाएक आपने एकदम पैंतरा
पलटा ,
और लिकखा की
" वाकई इस भाषण में
पूरा मसाला था एवं मैं और भी इसी तरह लिखता रहूँ , और आपका समय बर्बाद करता रहूँ
!!! "
बात यहीं समाप्त नहीं हुई, फिर आपने, मुझसे,
एक प्रश्न पूछा!!!
आपने मुझसे एक प्रश्न किया
है,
" समझ गए या खुलकर
सम्झना होगा? "
नहीं मितरवार मैं आपका संशय
एवं टेढ़ा प्रश्न बिल्कुल नहीं समझा!!!
आपका प्रश्न पढ़ कर राष्ट्रपिता
"बापू" मोहनदास करमचंद गांधी का एक भाषण अनायास ही मस्तिष्क में
प्रज्वलित हुआ " मैं तो सीधा साधा इंसान हूँ, मैं तो सीधी बात करता हूँ ,और
सीधी ही समझता हूँ "
आपसे सविनय अनुरोध है, बंधुवार, आपको मुझ सीधे
सादे, एवं कम चतुर मनुष्य को
सीधी-सादी एवं देशी भाषा में
ही सम्झना होगा। मैं कसी भी व्यक्ती की बात यदी कभी नहीं समझता, तो उससे झट से
प्रश्न पूछ कर अपने संशयों का निवारण कर लेता हूँ, यही कारण हैं, की मेरे दस्वी
कक्षा से लेकर आब तक, कोई भी व्यक्ती मुझसे परोक्षा रूप से भेंट करता है, वह मुझे
कभी भी नहीं भूलता। जब कभी वह व्यक्ती मुझसे अगली बार मिलता है, उसका मस्तिष्क उसे
तुरंत सिग्नल देता है, " अर्रे!!! सावधान, बचो, यह वही व्यक्ती है, जिसने
मुझसे इतना टेढ़ा प्रश्न किया था, की जिस आयोजन को मैंने अपनी लोकप्रियता बढ़ाने
हेतु किया था, उसमे सारी लोकप्रियता तो यह ले गया। उस कार्यक्रम के आयोजन में
मीडिया द्वारा लिखे गयी रिपोर्ट में, इसका उल्लेख है, जब की यह तो साधारण व्यक्ती
है, और मैं "फ़ैनने खान"
सो , मितरवार, सीधे से बताएं आपका, इस भोले भले
नागरिक को क्या सुझाव है?
पूछ इस लिए रहा हूँ की चूंकि आपके द्वारा
दिया गया वक्तव्य " सम्प्रेषण " ( Communication) की दृष्टि से अपूर्ण
है। हो सकता है, की आपका सुझाव, जो मुझ जैसे साधारण व्यक्ती की खोपड़ी में नहीं
घुसा, मुझे एक बेहतर व्यक्ती, या लेखक बनने में मददगार हो।
मेरा अनुरोध अपने मतलबी ( selfish )
कारणवश है, न की आपका परिहास उड़ाने की दृशती से।
पर फिर भी मैं जितना मैने
समझा है, की आप जानना चाहते हैं, की मैंने इसे क्यूँ लोखा? यदी मेरा आशय सही है तो
मेरा बहुत लंबा उदाहरण सहित वक्तव्य नीचे दिया जा रहा है।
आशा करता हूँ, की आपको मेरा उत्तर आपकी मंशा
को शांत करने में मददगार हो।
नोट: कहीं_कही, मैंने, उर्दू
फारसी शब्दो का प्रयोग किया है, ग़ज़ल गायक, शायर और अहिंदी भाषी हनी की नाते मेरे
इस जुर्म के लिए आप मुझे माफ कर देंगे।
MERA AAPKI TIPPANI KA
UTTAR, EVAM IS BLOG KO LIKNE KA KAARAN, IS KAARANVASH ALAG KIYA GAYA HAI, KI,
blogger.com HTML mein 4096 charachters se adhik ki tippani sweekar nahi karta,
evam, choonki main, kabhi bhi, shabdon ke bandhan mein nahin padhta, aur mera
kisi bhi sanshaya ka uttar hamesha byorawaar evam lamba hota hai, is liye, mere
is blog ko likhne ka kaaran samay barbaad karna hai, ya jan sadhaaran ka gyan
vardhan karna, aur hindi prachar karna, ise samjhana, maine apna kartavya
samjha.
Vaise bhi mitravar, jise na
padhna ho, wha vyakti kabhi bhi, blog ko chod kar ja sakta hai. Chunki aapney
kaha hai "samay barbaad karwaatee rahein" to main samjhta hoon, aap
apne samay ki baat kar rahe hain, jiska samadhan, aap kabhi bhi swatantra hain,
ki samay barbaad karne ke bajay, blog ko chod kar chale jayein. choonki, yeh
koi pay channel ya DTH / ya ticket yukt cinema, sangeet karyakram / ya khel
nahi hai, ki, jise chodne par, aapka aarthik nuksaan howeyga. :)
Haan, yadi aapka sanshay
yeh hai, ki, main apna samay barbaad kar rahaa hoon, :( to iska mere uttar hoga, yadi, koi shikshit vyakti,
apna gyaan, evam apne jeewan ka atyant kimti anubhav (experience), jan samanya
ke saath nahin baantega, to uska shikshitt hona vyartha hai. Is vishay par do
sanskrit sholok hai, jo main aapke samaksh prastut karney ki anumati chahunga.
isey na padhna chahein, to,
aap, na padein, par main, usey yahan par avashya prastut karoonga .
Mantras popular in
contemporary Hinduism:
असतो मा सद्गमय ।
तमसो मा ज्योतिर्गमय ।।
मृत्योर्मामृतं गमय ।
ॐ शांति: शांति: शांति:
Asato maa sad-gamaya
Tamaso maa jyotir-gamaya
Mṛityor-maa-mṛitan gamaya
Lead us from Untruth to
Truth, from Darkness to Light, from Death to Immortality. Om
peace, peace, peace.
FAQ's
Why do we light a lamp?
In almost every Indian home
a lamp is lit daily before the altar of the Lord. In some houses it is lit at
drawn, in some, twice a day – at dawn and dusk and in a few it is maintained
continuously (akhanda deepa). All auspicious functions and moments like daily
worship, rituals and festivals and even many social occasions like
inaugurations commence with the lighting of the lamp, which is often maintained
right through the occasion.Light symbolizes knowledge and darkness, ignorance.
The Lord is the “Knowledge Principle” (chaitanya) who is the source, the
enlivener and the illuminator of all knowledge. Hence light is worshipped as
the Lord Himself. Knowledge removes ignorance just as light removes darkness.
Also knowledge is a lasting inner wealth by which all outer achievements can be
accomplished. Hence we light the lamp to bow down to knowledge as the greatest
of all forms of wealth. Knowledge backs all our actions whether good or bad. We
therefore keep a lamp lit during all auspicious occasions as a witness to our
thoughts and actions. Why not light a bulb or tube light? That too would remove
darkness. But the traditional oil lamp has a further spiritual significance.
The oil or ghee in the lamp symbolizes our vaasanas or negative tendencies and
the wicked, the ego. When lit by spiritual knowledge, the vaasanas get slowly
exhausted and the ego too finally perishes. The flame of a lamp always burns
upwards. Similarly we should acquire such knowledge as to take us towards
higher ideals. A single lamp can light hundreds more just as a man of knowledge
can give it to many more. The brilliance of the light does not diminish despite
its repeated use to light many more lamps. So too knowledge does not lessen
when shared with or imparted to others. On the contrary it increases in clarity
and conviction on giving. It benefits both the receiver and the giver. Whilst
lighting the lamp we thus pray :
"Deepajyotihi
parabrahma Deepa sarva tamopababa Deepena sadhyate sarvam Sandhyaa deepo
namostute"
I prostrate to the
dawn/dusk lamp; whose light is the Knowledge Principle (the Supreme Lord),
which removes the darkness of ignorance and by which all can be achieved in
life.
Thus this custom contains a
wealth of intellectual and spiritual meaning.
the above from a great site
http://www.saranam.com/cms/13/Hindu-Rituals.htm
jo
mere dimaag ke andhakaar ko hatata hai
बंधुवार ,
मेरे ब्योरेवार उत्तर।
मैंने अपना भाषण अपने
कार्यालय में दिया, पर मेरा इस भाषण को सम्पूर्ण जगत से बांटने का ध्येय अपने
अनुभव अधिक से अधिक लोगों से बाँट कर, उन्हे 1) हिन्दी के प्रयोग की ओर प्रेरित
करने का एवं 2) अनारजक आसरियों की समस्या, उनका समाधान , अनारजक आस्तियों के
प्रबंधन, उन्नयन एवं उनके निबटारे से संबंधित बिंदुओं को अधिक से अधिक लोगों तक,
अपने अनुभव एवं तरीकों के बारे में अवगत करवाऊँ।
मैं आपका ध्यान ऊपर दिये हुये 2 चित्ऑन मे से
पहले पर आकर्षित करना चाहूँगा। मेरा यह ब्लॉग मायी 2008 में मैंने प्रारंभ किया
था। आरंभ से लेकर आज दिनांक 19/9/2012 तक अधिकाधिक लोकप्रिय 10 लेखों की सूची इस
चित्रा में है। इनमे भी, सबसे कम पढ़ गया
मेरा मार्च 21, सन 2010 का लेख " सर्फ एक्सेल होगा डार्लिंग ( जो मेरे द्वारा
लिखा गया परोडी गीत हैं ) 132 व्याकरियों ne पढ़ है।
अब कृप्या इस लेख की दायीं ओर अपनी नज़र घुमए तो आपको
विदित होगा की मेरी " वेल रीड पोस्ट्स " जो की, मेरे इस माह के 5
सर्वप्रिय एवं लोकप्रिय लेखों की सूची है, इस सूची में सर्वप्रथम मेरा आज तक पंचम
लोकप्रिय लेख " VenuG प्रेसेंट्स स्टीव जॉब्स
इन टेयएयर्स इन हैवन "
जो अब तक 290 व्यक्तियों ने पढ़ा है, एवं इस माह इसे 214 व्यक्तियों ने पढ़ है।
दूसरे स्थान पर यह लेख है, जिसे इस माह
112 व्यक्तियों ने पढ़ा ह (यह सूचना सही एवं सच्ची है, इस बात का आपको एहसास करने
बाबत मैंने दूसरा चित्रा भी इस ब्लॉग पोस्ट के अंत में जोड़ दिया है। मुझे आपको
सूचित करते हुये हर्ष हो रहा है, की मेरे द्वारा इन 4 वर्ष एवं 4 महीनों में लिखे
गए 139 लेखों में यह लेख लोकप्रियता की सूची में ग्यारहवे नंबर पर है, और मुझे
कहते हुये कोई संशया नहीं है, की कुछ समय में, सर्च इंजून "गूगल" पर यह
लेखा सबसे पहले नंबर पर दिखाया जावेगा एवं यह ब्लॉग पोस्ट मेरे सर्वप्रिय एवं
सर्वश्रेस्था लोकप्रिय एवेम गूगल पर
ढूंडे गए इस विषय पर सर्वप्रथम
लिंक होगा !!! । कृपया गूगल.को.इन पर जा कर " Problem of NPA's Non
Performing Assets in Banks and its solutions " सर्च बॉक्स में डालें एवं
एंटर की दबावें। आप पाएंगे, की इस नाचीज़ का लिखा यह पोस्ट सबसे ऊपर पाएंगे।
मितरवार , चूंकि यह लेख एक ऐसे विषय " अनर्जक आस्तियों " पर है,जो की इस
समय सम्पूर्ण जगत की समस्याओं की जननी है। भारतवर्ष में भी, यह समस्या इतनी ही
अधिक होती, यदि सन 2005 में, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के उस समय के गवर्नर डॉक्टर
वाई.वी। रेड्डी, भारतीय बाँकों द्वारा रियल इस्टेट पर मोर्त्गएज ऋणों दिये जाने पर
रोक नहीं लगाते। यही कारण है, की मैं कहता हूँ की क्रीककेट खिलाड़ी, सचिन तेंडुलकर,
या भूतपूर्व राष्ट्रपती एवं "मिसाइल मैन ए.पी.जे.कलाम से पहले यदी, कोई
व्यक्ती भारत रत्ना हेतु कोई ब्यकती उपयुक्त एवं काबिल है वेय हैं रिजर्व बैंक ऑफ
इंडिया के 2005 में रहे भूतपूर्व गवर्नर डॉक्टर वाई.वी। रेड्डी!!!। ज्वलंत एवं
सामयिक विषयों पर एवं, हर समय काम आने वाले विषयों पर लिखना मेरा न केवल शौक एवं
मेरा ध्येय रहा है, इस लिए, मैं अपने ब्लॉग पर हमेशा, सा,-सामयिक विषयों एवं
"जेनेरिक (गेनेरिक) " विषयों पर लिखना पसंद करता हूँ।
चलिये एक बार को शौक या पसंद को
दरकिनार रख भी दें, तो पहले मैं आपका ध्यान नीचे से दूसरे चित्रा पर आकर्षित करता
हूँ, सम्पूर्ण समय में दूसरे नंबर का लोकप्रिय ब्लॉग पोस्ट " MTV HERO
Roadies 9 Everything OR Nothing "
को लिखने हेतु @ब्लोगद्दा द्वारा मुझे आमंत्रण मिला था। इस ब्लॉग पोस्ट को
लिखते वक़्त , Blogadda.com के श्री हरीश
कृष्णन ने मुझे बार बार ज़ोर देकर जल्दी लिखने को इस लिए कहा, की यदी मैं इसे
हैदराबाद एवं चंडीगढ़ के एमटीवी हेरो रोड़िएस के औदिशुन से पहले अगर मैं इस ब्लॉग
पोस्ट को लिख देता तो मेरा ब्लॉग, गूगल पर उस वक़्त ढूंडा जाने वाला सबसे लोकप्रिय
ब्लॉग होता। परंतु चूंकि मैं एक बैंक कर्मी हूँ, एवं सितंबर माह अर्धा वार्षिक
खाता बंदी का समय होता है, इस कारणवश मैं इस ब्लॉग पोस्ट को अक्टूबर 12 को ही लोख
एवं पोस्ट कर सका। अंतिम औदिशुन 29 सितंबर को था, जो की मेरे लिए उतना लाभकारी
नहीं हो सका, जितना यह, कोलकाता के एक अन्य ब्लॉगर अग्निवों नियोगी @Aagan86 के
लिए हुआ था।
सो मितरवार, इस ब्लॉग को लिखने का कारण
हिन्दी दिवस था, एवं अनर्जक आस्तियों वाला विषया मेरा दूसरा पसंद वाला विषय था
(पहला पसंदीदा किशया था बैंकिंग में सूचना
प्रोद्योगिकी की बढ़ती मौलिकता ) यह मेरा अच्छा भाग्य या सौभाग्य समझ लें, की
कुमारी अनुराधा द्वारा इस विषया को चुन लिया गया। विश्व की ज्वलनता एवं भारत में
मौलिक समस्या पर मेरा यह लिखा भाषण हिन्दी के प्रचार प्रसार के साथ_साथ, गूगल.कॉम
पर अनर्जक आस्तियों पर ढूंडे गए लिंकों में पेरे इस ब्लॉग पोस्ट को सबसे ऊपर लाने
में सक्षम रहा।
आपका सेवक
वेणुगोपाल मेनॉन
कलकत्ता
दिनांक 19 सितंबर, सन 2012।
गणेश चतुर्दशी।
@Venuspeak
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